Tuesday, August 14, 2012
Tuesday, August 7, 2012
बारिश के बादल के जाने तक....!!!
खिड़की के काँच पर अब भी पानी की बूंदें सरक रही हैं...
बाहर टप टप की आवाज़ के साथ वो पुराना बूढ़ा पेड़....
जैसे फिर से अपने यौवन में जी उठा है...
नन्हे नन्हे फूलों से सजा पौधा....
अपने फूलों के साथ जैसे खुशी में सराबोर...
मस्त बरसाती हवाओं के बीच....
अपने जीवन को जी रहा है...
हर और जीवन हरा है.... धरा हरी है....
चमकदार हरा रंग आँखों को कितना सौम्य लग रहा है.....
नन्ही चिड़िया बारिश के कारण कहीं फसी तो है....
पर वो भी जानती है की यह बूंदें जीवन देती हैं...
और इसलिए शायद उसका इंतज़ार जैसे अपने सुख को निहार रहा है...
जरा इस आवाज़ को तो सुनो.... शांत... कल....कल... साफ.... उत्साहपूर्ण.....
यह सब जैसे एक जादू सा अचानक ही पता नहीं...
कहाँ से आया है.... एक ऐसी जगह.... जहां कल तक.... निर्जीव...
काला.... धुआँ... धूल से मिला.... बनावटी.... जैसे प्रकृति को किसी राक्षस की तरह...
अपने गंदे रूप में प्रकृति को हराने के घमंड में...
पता नहीं किस कृत्रिम जहां में जी रहा था....
पर आज वो अपने ही कीचड़ में कहीं फंसा.... इस नज़ारे... को देखकर....
आज सोच में तो है की सब कितना अच्छा है... पर वो घमंड....
इतना हावी है उसपर की अब भी निर्जीव... मुर्दों सा.... वो चुप है...
बारिश के बादल के जाने तक....!!!
- आदर्श
बाहर टप टप की आवाज़ के साथ वो पुराना बूढ़ा पेड़....
जैसे फिर से अपने यौवन में जी उठा है...
नन्हे नन्हे फूलों से सजा पौधा....
अपने फूलों के साथ जैसे खुशी में सराबोर...
मस्त बरसाती हवाओं के बीच....
अपने जीवन को जी रहा है...
हर और जीवन हरा है.... धरा हरी है....
चमकदार हरा रंग आँखों को कितना सौम्य लग रहा है.....
नन्ही चिड़िया बारिश के कारण कहीं फसी तो है....
पर वो भी जानती है की यह बूंदें जीवन देती हैं...
और इसलिए शायद उसका इंतज़ार जैसे अपने सुख को निहार रहा है...
जरा इस आवाज़ को तो सुनो.... शांत... कल....कल... साफ.... उत्साहपूर्ण.....
यह सब जैसे एक जादू सा अचानक ही पता नहीं...
कहाँ से आया है.... एक ऐसी जगह.... जहां कल तक.... निर्जीव...
काला.... धुआँ... धूल से मिला.... बनावटी.... जैसे प्रकृति को किसी राक्षस की तरह...
अपने गंदे रूप में प्रकृति को हराने के घमंड में...
पता नहीं किस कृत्रिम जहां में जी रहा था....
पर आज वो अपने ही कीचड़ में कहीं फंसा.... इस नज़ारे... को देखकर....
आज सोच में तो है की सब कितना अच्छा है... पर वो घमंड....
इतना हावी है उसपर की अब भी निर्जीव... मुर्दों सा.... वो चुप है...
बारिश के बादल के जाने तक....!!!
- आदर्श
Tuesday, May 29, 2012
आदि-Blog की शुरुआत
बहुत दिनो से अपनी बात रखना चाह रहा था... ब्लॉग लिखने का खयाल भी आया... पर आप तो जानते ही हैं की जीतने तेज़ी से हमारे हिंदुस्तान की आबादी नहीं बड़ती उससे दोगुनी तेज़ी से इंटरनेट स्पेस पर पेजों और साइटों की बाड़ आ जाती है...!!! फिर ख्याल आया की चलो अपनी बकवास निकालने का इससे अच्छा माध्यम मिलेगा भी क्या सो आ गए.... चलो अब मेरी बकवास का यह पता आप सभी को पता चल गया है... तो रोज़ नहीं तो हफ्ते में एक आध बार आ जाया करो और इस बकवास में अपने आपको तन और मन से शामिल करलो...!!!
- आदि-blog गुरु
- आदि-blog गुरु
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